Origin and Development of Banking in India | Indian Banking History Explained | Banking Law Lecture
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Origin and Development of Banking in India | Indian Banking History Explained | Banking Law Lecture |
प्रश्न: भारत में बैंकिंग संस्थान की उत्पत्ति और विकास की चर्चा करें।
(बहुत ही आसान हिन्दी में + महत्वपूर्ण सेक्शन + केस लॉ सहित, 600+ शब्दों में)
1. भूमिका (Introduction):
बैंक आज हमारी जिंदगी का जरूरी हिस्सा बन चुका है। हम पैसे जमा करते हैं, निकालते हैं, मोबाइल से भुगतान करते हैं – ये सब बैंक की वजह से होता है। लेकिन क्या आपने कभी सोचा है कि भारत में बैंक की शुरुआत कब और कैसे हुई? इस प्रश्न का उत्तर हमें बैंकिंग की उत्पत्ति और विकास के अध्ययन से मिलता है।
2. बैंकिंग की उत्पत्ति (Origin of Banking in India):
भारत में बैंकिंग की नींव अंग्रेजों के समय रखी गई थी। शुरू में बैंक केवल व्यापारियों और ब्रिटिश कंपनियों के लिए थे, लेकिन धीरे-धीरे इनका विस्तार आम जनता तक हुआ।
📌 प्रारंभिक बैंकिंग संस्थान:
1770: पहला भारतीय बैंक – हिंदुस्तान बैंक (Hindustan Bank) – की स्थापना हुई।
1806: बैंक ऑफ कलकत्ता की स्थापना हुई, जिसे बाद में बैंक ऑफ बंगाल कहा गया।
1840: बैंक ऑफ बंबई और 1843 में बैंक ऑफ मद्रास की स्थापना हुई।
इन तीनों को मिलाकर 1921 में इम्पीरियल बैंक ऑफ इंडिया बनाया गया।
👉 यही बाद में 1955 में स्टेट बैंक ऑफ इंडिया (SBI) बना।
3. रिज़र्व बैंक ऑफ इंडिया (RBI) की स्थापना – 1935
भारत में बैंकिंग को नियंत्रित करने के लिए 1935 में "भारतीय रिज़र्व बैंक (RBI)" की स्थापना की गई। यह भारत का केन्द्रीय बैंक है।
✅ महत्वपूर्ण सेक्शन – RBI Act, 1934:
Section 3: RBI की स्थापना।
Section 22: केवल RBI को ही नोट छापने का अधिकार।
Section 42: बैंकों को RBI के पास कुछ राशि जमा रखनी होती है (CRR)।
👉 वर्ष 1949 में RBI का राष्ट्रीयकरण हुआ और यह भारत सरकार के अधीन आ गया।
4. बैंकिंग विनियमन अधिनियम, 1949 (Banking Regulation Act, 1949)
इस कानून के माध्यम से भारत में बैंकों को रेगुलेट किया जाता है।
✅ महत्वपूर्ण सेक्शन:
Section 5(b): बैंकिंग की परिभाषा – "Public deposits को लेकर, लोन देना बैंकिंग कहलाती है।"
Section 22: बैंक को लाइसेंस लेना जरूरी।
Section 35: RBI को बैंक की जांच करने का अधिकार।
बैंकों का राष्ट्रीयकरण (Nationalisation of Banks):
भारत सरकार ने बैंकों को गरीबों और किसानों के पास पहुंचाने के लिए बड़े बैंकों का राष्ट्रीयकरण किया।
✅ प्रमुख चरण:
1969: 14 बड़े बैंकों का राष्ट्रीयकरण।
1980: 6 और बैंकों का राष्ट्रीयकरण।
इससे बैंक गांवों, छोटे किसानों, मजदूरों और छोटे व्यापारियों तक पहुंचे।
👉 अब PSU बैंकों को "Public Sector Banks" कहा जाता है।
6. निजीकरण और उदारीकरण के बाद विकास (Post-1991 Reforms):
1991 में आर्थिक उदारीकरण के बाद भारत में निजी बैंकों (Private Banks) को अनुमति दी गई।
✅ प्रमुख निजी बैंक:
ICICI Bank
HDFC Bank
Axis Bank
Kotak Mahindra Bank
इसके साथ-साथ डिजिटल बैंकिंग, ATM, Internet Banking, UPI, Mobile Banking का तेजी से विकास हुआ।
7. महत्वपूर्ण केस लॉ (Important Case Law):
🏛 K.P.M. Mohammed v. Federal Bank Ltd., AIR 1999 SC 474
मुख्य बात: सुप्रीम कोर्ट ने माना कि बैंकिंग सेवा भी "सेवा (Service)" के अंतर्गत आती है और ग्राहक को न्याय दिलाने के लिए Consumer Protection Act लागू होता है।
🏛 T.M.A. Pai Foundation v. State of Karnataka, (2002)
बैंकिंग शिक्षा और संस्थानों में सुधार पर इस केस का असर पड़ा।
8. वर्तमान बैंकिंग प्रणाली (Modern Banking System):
आज भारत में बैंक निम्नलिखित प्रकार के हैं:
Public Sector Banks: जैसे SBI, Bank of Baroda
Private Sector Banks: जैसे ICICI, HDFC
Regional Rural Banks (RRB): ग्रामीण क्षेत्रों के लिए
Co-operative Banks: समाज आधारित बैंक
Payment Banks: जैसे Paytm, Airtel Payments Bank
9. निष्कर्ष (Conclusion):
भारत में बैंकिंग प्रणाली का विकास एक लंबी यात्रा है, जो 18वीं सदी में शुरू होकर आज डिजिटल युग तक पहुंची है। सरकार और RBI ने समय-समय पर जो बदलाव किए, उससे बैंक आम जनता के जीवन का अभिन्न हिस्सा बन गए हैं। अब बैंक न केवल पैसे जमा और उधार देने का काम करते हैं, बल्कि यह भारत की आर्थिक प्रगति के इंजन भी हैं।
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