Power Of Police In IT Act 2000 Section 78, 80, 76, 67C
Unit - 5
78, 80, 76, 67C
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Power Of Police In IT Act 2000 Section 78, 80, 76, 67C |
रूपरेखा:-
1. प्रस्तावना:-
सूचना प्रौद्योगिकी अधिनियम, 2000 (Information Technology Act, 2000) भारत में साइबर अपराधों को रोकने और सजा देने के लिए बनाया गया है। इस कानून के तहत पुलिस को कई शक्तियाँ (पावर) दी गई हैं, ताकि वह इंटरनेट पर होने वाले अपराधों की जाँच और कार्रवाई कर सके।
2. पुलिस को क्या-क्या अधिकार (पावर) मिले हैं?
(1) साइबर अपराध की जाँच करने का अधिकार (Power to Investigate) – [धारा 78]
✅ पुलिस इंस्पेक्टर या उससे बड़े अधिकारी (जैसे DSP, SP) साइबर अपराधों की जाँच कर सकते हैं।
✅ अगर किसी का मोबाइल, कंप्यूटर, या बैंक अकाउंट हैक हो जाए, तो पुलिस इसकी जाँच कर सकती है।
(2) अपराधी को पकड़ने (गिरफ्तार करने) का अधिकार (Power to Arrest) – [धारा 80]
✅ अगर कोई व्यक्ति इंटरनेट पर कोई बड़ा अपराध कर रहा है, तो पुलिस उसे बिना वारंट (बिना कोर्ट की अनुमति) गिरफ्तार कर सकती है।
✅ अगर कोई सोशल मीडिया पर देश के खिलाफ भड़काने वाला पोस्ट डालता है, तो पुलिस उसे गिरफ्तार कर सकती है।
(3) मोबाइल, लैपटॉप और अन्य डिवाइस जब्त करने का अधिकार (Power to Confiscate Devices) – [धारा 76]
✅ अगर कोई ऑनलाइन ठगी (फ्रॉड) कर रहा है, तो पुलिस उसका फोन और बैंक अकाउंट ब्लॉक कर सकती है।
(4) ऑनलाइन सबूत इकट्ठा करने का अधिकार (Power to Collect Evidence) – [धारा 67C]
✅ पुलिस को यह अधिकार है कि वह ईमेल, व्हाट्सएप चैट, बैंक ट्रांजैक्शन और वेबसाइट डेटा इकट्ठा कर सकती है।
✅ अगर कोई सबूत मिटाने (Delete) की कोशिश करता है, तो उसे 3 साल की जेल हो सकती है।
3. पुलिस किन साइबर अपराधों की जाँच कर सकती है?
👉 पुलिस इन साइबर अपराधों की जाँच कर सकती है:
✔️ हैकिंग (Hacking) – [धारा 66] (किसी का कंप्यूटर या अकाउंट हैक करना)
✔️ डेटा चोरी (Data Theft) – [धारा 43] (किसी का पर्सनल डेटा चुराना)
✔️ ऑनलाइन ठगी (Fraud) – [धारा 66D] (फर्जी वेबसाइट बनाकर लोगों को धोखा देना)
✔️ गलत तस्वीरें/वीडियो पोस्ट करना – [धारा 67]
✔️ साइबर आतंकवाद (Cyber Terrorism) – [धारा 66F] (देश विरोधी ऑनलाइन गतिविधियाँ करना)
✔️ बैंक अकाउंट फ्रॉड – [धारा 66C] (किसी का बैंक अकाउंट या कार्ड का गलत इस्तेमाल करना)
4. साइबर अपराध से जुड़े 2 केस (Case Laws) :-
📌 1. अमित गर्ग बनाम हरियाणा सरकार (Amit Garg v. State of Haryana, 2013)
✅ मामला:
- अमित गर्ग ने फेसबुक पर भड़काऊ पोस्ट डाली, जिससे समाज में तनाव बढ़ा।
- पुलिस ने धारा 67 के तहत मामला दर्ज कर उसे गिरफ्तार किया।
✅ फैसला:
- कोर्ट ने कहा कि इंटरनेट पर गलत जानकारी फैलाना अपराध है।
- पुलिस को अधिकार है कि वह ऐसे अपराधियों को तुरंत गिरफ्तार कर सकती है।
📌 2. नीरज अरोड़ा बनाम भारत सरकार (Neeraj Arora v. Union of India, 2017)
✅ मामला:
- नीरज अरोड़ा ने फर्जी ई-कॉमर्स वेबसाइट बनाकर लोगों से पैसे ठग लिए।
- पुलिस ने धारा 66D और 43 के तहत केस दर्ज किया।
✅ फैसला:
- कोर्ट ने उसे 5 साल की सजा और 10 लाख रुपये का जुर्माना लगाया।
- पुलिस ने उसकी वेबसाइट और बैंक अकाउंट ब्लॉक कर दिए।
5. निष्कर्ष (Conclusion)
✅ सूचना प्रौद्योगिकी अधिनियम, 2000 के तहत पुलिस को साइबर अपराधों को रोकने और दोषियों को पकड़ने के लिए मजबूत अधिकार मिले हैं।
✅ अगर आपको कोई साइबर अपराध दिखे, तो तुरंत साइबर पुलिस में शिकायत दर्ज कराएँ।
✅ इंटरनेट का सही इस्तेमाल करें और सतर्क रहें।
🚨 "साइबर अपराध से बचें और सुरक्षित इंटरनेट का उपयोग करें!" 🚨
सूचना प्रौद्योगिकी अधिनियम, 2000 के तहत पुलिस की शक्तियाँ
सूचना प्रौद्योगिकी अधिनियम, 2000 (Information Technology Act, 2000) भारत में साइबर अपराधों को रोकने और सजा देने के लिए बनाया गया है। इस कानून के तहत पुलिस को कई शक्तियाँ (पावर) दी गई हैं, ताकि वह इंटरनेट पर होने वाले अपराधों की जाँच और कार्रवाई कर सके।
1️⃣ पुलिस को क्या-क्या अधिकार (पावर) मिले हैं?
🔹 (1) साइबर अपराध की जाँच करने का अधिकार (Power to Investigate) – [धारा 78]
✅ पुलिस इंस्पेक्टर या उससे बड़े अधिकारी (जैसे DSP, SP) साइबर अपराधों की जाँच कर सकते हैं।
✅ अगर किसी का मोबाइल, कंप्यूटर, या बैंक अकाउंट हैक हो जाए, तो पुलिस इसकी जाँच कर सकती है।
🔹 (2) अपराधी को पकड़ने (गिरफ्तार करने) का अधिकार (Power to Arrest) – [धारा 80]
✅ अगर कोई व्यक्ति इंटरनेट पर कोई बड़ा अपराध कर रहा है, तो पुलिस उसे बिना वारंट (बिना कोर्ट की अनुमति) गिरफ्तार कर सकती है।
✅ अगर कोई सोशल मीडिया पर देश के खिलाफ भड़काने वाला पोस्ट डालता है, तो पुलिस उसे गिरफ्तार कर सकती है।
🔹 (3) मोबाइल, लैपटॉप और अन्य डिवाइस जब्त करने का अधिकार (Power to Confiscate Devices) – [धारा 76]
✅ अगर कोई मोबाइल, कंप्यूटर, या पेन ड्राइव किसी अपराध में इस्तेमाल हो रहा है, तो पुलिस उसे जब्त कर सकती है।
✅ अगर कोई ऑनलाइन ठगी (फ्रॉड) कर रहा है, तो पुलिस उसका फोन और बैंक अकाउंट ब्लॉक कर सकती है।
🔹 (4) ऑनलाइन सबूत इकट्ठा करने का अधिकार (Power to Collect Evidence) – [धारा 67C]
✅ पुलिस को यह अधिकार है कि वह ईमेल, व्हाट्सएप चैट, बैंक ट्रांजैक्शन और वेबसाइट डेटा इकट्ठा कर सकती है।
✅ अगर कोई सबूत मिटाने (Delete) की कोशिश करता है, तो उसे 3 साल की जेल हो सकती है।
2️⃣ पुलिस किन साइबर अपराधों की जाँच कर सकती है?
👉 पुलिस इन साइबर अपराधों की जाँच कर सकती है:
✔️ हैकिंग (Hacking) – [धारा 66] (किसी का कंप्यूटर या अकाउंट हैक करना)
✔️ डेटा चोरी (Data Theft) – [धारा 43] (किसी का पर्सनल डेटा चुराना)
✔️ ऑनलाइन ठगी (Fraud) – [धारा 66D] (फर्जी वेबसाइट बनाकर लोगों को धोखा देना)
✔️ गलत तस्वीरें/वीडियो पोस्ट करना – [धारा 67]
✔️ साइबर आतंकवाद (Cyber Terrorism) – [धारा 66F] (देश विरोधी ऑनलाइन गतिविधियाँ करना)
✔️ बैंक अकाउंट फ्रॉड – [धारा 66C] (किसी का बैंक अकाउंट या कार्ड का गलत इस्तेमाल करना)
3️⃣ साइबर अपराध से जुड़े 2 केस (Case Laws)
📌 1. अमित गर्ग बनाम हरियाणा सरकार (Amit Garg v. State of Haryana, 2013)
✅ मामला:
- अमित गर्ग ने फेसबुक पर भड़काऊ पोस्ट डाली, जिससे समाज में तनाव बढ़ा।
- पुलिस ने धारा 67 के तहत मामला दर्ज कर उसे गिरफ्तार किया।
✅ फैसला:
- कोर्ट ने कहा कि इंटरनेट पर गलत जानकारी फैलाना अपराध है।
- पुलिस को अधिकार है कि वह ऐसे अपराधियों को तुरंत गिरफ्तार कर सकती है।
📌 2. नीरज अरोड़ा बनाम भारत सरकार (Neeraj Arora v. Union of India, 2017)
✅ मामला:
- नीरज अरोड़ा ने फर्जी ई-कॉमर्स वेबसाइट बनाकर लोगों से पैसे ठग लिए।
- पुलिस ने धारा 66D और 43 के तहत केस दर्ज किया।
✅ फैसला:
- कोर्ट ने उसे 5 साल की सजा और 10 लाख रुपये का जुर्माना लगाया।
- पुलिस ने उसकी वेबसाइट और बैंक अकाउंट ब्लॉक कर दिए।
4️⃣ निष्कर्ष (Conclusion)
✅ सूचना प्रौद्योगिकी अधिनियम, 2000 के तहत पुलिस को साइबर अपराधों को रोकने और दोषियों को पकड़ने के लिए मजबूत अधिकार मिले हैं।
✅ अगर आपको कोई साइबर अपराध दिखे, तो तुरंत साइबर पुलिस में शिकायत दर्ज कराएँ।
✅ इंटरनेट का सही इस्तेमाल करें और सतर्क रहें।
🚨 "साइबर अपराध से बचें और सुरक्षित इंटरनेट का उपयोग करें!" 🚨
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