Unit -2
धारा- 12, 14 main Section
मुख्य सूचना आयुक्त (CIC) के निष्कासन की प्रक्रिया
(बहुत ही आसान हिंदी में - 600+ शब्द)
1. मुख्य सूचना आयुक्त (CIC) कौन होता है?
📌 आसान भाषा में समझें:
मुख्य सूचना आयुक्त (Chief Information Commissioner - CIC) सूचना आयोग (Information Commission) का प्रमुख (Head) होता है।
✔ यह RTI अधिनियम, 2005 के तहत नियुक्त किया जाता है।
✔ इसका काम सूचना के अधिकार (RTI) को लागू कराना और जनता को जानकारी दिलवाना होता है।
✔ यह सूचना आयोग (Information Commission) का नेतृत्व करता है।
📜 धारा 12 (Section 12) - CIC की नियुक्ति
✔ CIC को राष्ट्रपति (President) द्वारा नियुक्त किया जाता है।
✔ प्रधानमंत्री (PM), लोकसभा में विपक्ष के नेता और एक केंद्रीय मंत्री मिलकर राष्ट्रपति को सलाह देते हैं।
📌 उदाहरण:
अगर कोई सरकारी विभाग किसी व्यक्ति को RTI के तहत सही जानकारी नहीं देता, तो वह सूचना आयोग में अपील कर सकता है।
👉 इस आयोग का सबसे बड़ा अधिकारी "मुख्य सूचना आयुक्त (CIC)" होता है।
2. CIC को कब और क्यों हटाया जा सकता है?
📜 धारा 14 (Section 14) - CIC को हटाने की प्रक्रिया
✔ मुख्य सूचना आयुक्त (CIC) को राष्ट्रपति हटा सकता है, लेकिन इसके लिए उचित कारण होना चाहिए।
👉 CIC को हटाने के कारण (Reasons for Removal):
✔ अगर वह भ्रष्टाचार (Corruption) में लिप्त पाया जाए।
✔ अगर वह अपनी जिम्मेदारी सही से नहीं निभा रहा हो और आयोग के काम में बाधा डाल रहा हो।
✔ अगर वह किसी अन्य लाभकारी पद (Government Job) पर कार्य कर रहा हो, जिससे हितों का टकराव (Conflict of Interest) हो।
✔ अगर उसे मानसिक या शारीरिक बीमारी (Mental or Physical Illness) हो जाए, जिससे वह काम करने में असमर्थ हो।
✔ अगर उसने RTI अधिनियम का गंभीर रूप से उल्लंघन किया हो और जनता के सूचना के अधिकार को नुकसान पहुँचाया हो।
📌 उदाहरण:
अगर कोई CIC किसी मंत्रालय से रिश्वत लेकर RTI मामले को दबा देता है, तो यह भ्रष्टाचार (Corruption) माना जाएगा और उसे हटाया जा सकता है।
3. CIC को हटाने की प्रक्रिया (Process of Removal)
✔ राष्ट्रपति ही CIC को हटा सकता है।
✔ राष्ट्रपति को सुप्रीम कोर्ट से सलाह (Advice) लेनी होती है।
✔ सुप्रीम कोर्ट जाँच करता है कि क्या CIC को हटाने के लिए वैध कारण हैं या नहीं।
✔ अगर सुप्रीम कोर्ट जाँच के बाद कहता है कि CIC को हटाना सही होगा, तो राष्ट्रपति उसे हटा सकता है।
📌 उदाहरण:
अगर किसी CIC पर आरोप लगे कि वह सरकार के पक्ष में गलत फैसले दे रहा है, तो सुप्रीम कोर्ट जाँच करेगा।
👉 अगर आरोप सही पाए गए, तो राष्ट्रपति उसे हटा सकता है।
4. प्रमुख न्यायिक मामले (Leading Case Laws)
(1) केस: "नवीन कुमार बनाम भारत सरकार (2012)"
✔ इस केस में आरोप था कि CIC ने एक बड़े कॉरपोरेट कंपनी के पक्ष में गलत निर्णय दिया।
✔ सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि CIC का काम पारदर्शिता बनाए रखना है, न कि किसी पक्ष को फायदा पहुँचाना।
✔ कोर्ट ने जाँच करने का आदेश दिया, लेकिन पर्याप्त सबूत न होने के कारण CIC को नहीं हटाया गया।
📌 इस केस से क्या सीखा?
👉 CIC को हटाने के लिए स्पष्ट सबूत (Clear Evidence) जरूरी होते हैं।
👉 बिना जाँच के राष्ट्रपति किसी CIC को हटा नहीं सकता।
(2) केस: "सुभाष चंद्र अग्रवाल बनाम भारत सरकार (2011)"
✔ इसमें एक RTI कार्यकर्ता ने शिकायत की कि CIC ने जानबूझकर एक महत्वपूर्ण सरकारी रिपोर्ट को सार्वजनिक नहीं किया।
✔ सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि RTI अधिनियम का उद्देश्य पारदर्शिता (Transparency) और जवाबदेही (Accountability) लाना है।
✔ कोर्ट ने चेतावनी दी कि अगर CIC अपनी जिम्मेदारी ठीक से नहीं निभाएगा, तो उसे हटाने की कार्रवाई हो सकती है।
📌 इस केस से क्या सीखा?
👉 CIC को RTI के तहत दी गई जिम्मेदारी को सही से निभाना चाहिए।
👉 अगर कोई CIC सरकार के दबाव में गलत फैसले देता है, तो उसे हटाया जा सकता है।
5. निष्कर्ष (Conclusion)
✔ मुख्य सूचना आयुक्त (CIC) को हटाने की प्रक्रिया RTI अधिनियम, 2005 की धारा 14 में दी गई है।
✔ राष्ट्रपति किसी CIC को तभी हटा सकता है जब सुप्रीम कोर्ट यह साबित कर दे कि CIC दोषी है।
✔ CIC को हटाने के कारणों में भ्रष्टाचार, कर्तव्यों में लापरवाही, मानसिक या शारीरिक अक्षमता और अन्य सरकारी पद पर कार्य करना शामिल हैं।
✔ CIC को बिना जाँच के नहीं हटाया जा सकता।
✔ सुप्रीम कोर्ट ने कई केसों में यह स्पष्ट किया है कि CIC को निष्पक्ष और पारदर्शी तरीके से काम करना चाहिए।
📌 संक्षेप में:
अगर कोई CIC गलत काम करता है, पारदर्शिता का उल्लंघन करता है या भ्रष्टाचार में लिप्त होता है, तो उसे हटाने की प्रक्रिया शुरू की जा सकती है।
👉 अगर आपको और जानकारी चाहिए, तो बताइए!
0 Comments