मानव अधिकारों की अवधारणा, प्रकृति एवं इतिहास को समझाइए ।
Explain the concept, nature and history of Human Rights According to Human Rights and Humanitarian Law
1. मानव अधिकारों की अवधारणा (Concept of Human Rights):
मानव अधिकार का मतलब ऐसे अधिकारों से है जो हर इंसान को सिर्फ इंसान होने के नाते मिलते हैं। ये अधिकार जन्म से ही मिल जाते हैं और कोई सरकार या संस्था इन्हें नहीं छीन सकती।
इन अधिकारों का मकसद हर इंसान की इज्जत, आज़ादी और बराबरी को बनाए रखना होता है।
जैसे:
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जीने का अधिकार (Right to Life)
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स्वतंत्रता का अधिकार (Right to Freedom)
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शिक्षा का अधिकार (Right to Education)
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भोजन और पानी का अधिकार (Right to Food & Water)
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विचार और धर्म की स्वतंत्रता (Freedom of Thought & Religion)
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काम करने का अधिकार (Right to Work)
2. मानव अधिकारों की प्रकृति (Nature of Human Rights):
मानव अधिकारों की कुछ प्रमुख विशेषताएँ (Nature) इस प्रकार हैं:
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सर्वजनिन (Universal):
ये अधिकार सभी देशों, जातियों, धर्मों और वर्गों के लोगों को बराबर मिलते हैं। -
अजन्म व स्थायी (Inalienable and Permanent):
कोई भी सरकार या संस्था इन्हें छीनी नहीं सकती। ये जीवनभर के लिए होते हैं। -
प्राकृतिक (Natural):
ये अधिकार किसी कानून द्वारा नहीं बल्कि इंसान के जन्म से मिलते हैं। -
अखंड और परस्पर जुड़े (Indivisible and Interdependent):
सभी मानव अधिकार आपस में जुड़े होते हैं। एक अधिकार नहीं मिलने से दूसरे अधिकार भी प्रभावित होते हैं। -
संरक्षित (Protected):
ये अधिकार अंतरराष्ट्रीय कानून, संविधान और मानवाधिकार आयोग द्वारा संरक्षित होते हैं।
3. मानव अधिकारों का इतिहास (History of Human Rights):
मानव अधिकारों की सोच बहुत पुरानी है, लेकिन इसका आधुनिक रूप कुछ खास घटनाओं के बाद बना:
(i) प्राचीन काल में:
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भारत में वेदों, बौद्ध धर्म और महावीर के सिद्धांतों में सभी के साथ दया, समानता और न्याय की बात कही गई है।
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राजा अशोक ने भी लोगों को नैतिक शिक्षा, अहिंसा और सम्मान की सीख दी थी।
(ii) मध्यकाल में:
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1215 में इंग्लैंड में मैग्ना कार्टा (Magna Carta) नाम की एक संधि बनी, जिसमें राजा को भी कानून के अधीन माना गया।
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यह पहली बार था जब राजा की शक्ति सीमित की गई और नागरिकों को अधिकार दिए गए।
(iii) आधुनिक काल में:
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अमेरिकी स्वतंत्रता घोषणापत्र (1776):
इसमें कहा गया कि "सभी मनुष्य समान रूप से पैदा हुए हैं और उन्हें जीवन, स्वतंत्रता और खुशी का अधिकार है।"
फ्रांसीसी क्रांति (1789):
इसमें “मनुष्य और नागरिक के अधिकारों की घोषणा” की गई, जिसमें स्वतंत्रता, समानता और बंधुत्व पर ज़ोर दिया गया।-
संयुक्त राष्ट्र की स्थापना (1945):
द्वितीय विश्व युद्ध के बाद दुनिया को शांति और मानवता की ज़रूरत महसूस हुई। इसीलिए संयुक्त राष्ट्र (UNO) की स्थापना की गई। -
मानव अधिकारों की सार्वभौमिक घोषणा (UDHR - 1948):
10 दिसंबर 1948 को संयुक्त राष्ट्र ने Universal Declaration of Human Rights (UDHR) अपनाई। इसमें 30 अधिकारों और स्वतंत्रताओं का ज़िक्र है, जो सभी को मिलना चाहिए।
निष्कर्ष (Conclusion):
मानव अधिकार हर इंसान का जन्मसिद्ध अधिकार है। ये न केवल जीवन को गरिमा और सम्मान देते हैं बल्कि हर इंसान को समाज में बराबरी और सुरक्षा की भावना भी देते हैं।
आज दुनिया भर में मानव अधिकारों को पहचान मिली है और कई कानून इन्हें सुरक्षा देने के लिए बनाए गए हैं।
भारत ने भी अपने संविधान में इन अधिकारों को विशेष महत्व दिया है और मानव अधिकार संरक्षण अधिनियम, 1993 के तहत राष्ट्रीय मानव अधिकार आयोग (NHRC) का गठन किया गया है।
इसलिए, मानव अधिकार सिर्फ कानून का हिस्सा नहीं बल्कि इंसानियत की बुनियाद हैं।
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